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डोटासरा-जूली भड़के : मोदी-शाह मिलकर भजनलाल से गलत निर्णय करवा रहे

  • मंत्री अविनाश-सुमित का पलटवार : कांग्रेस की गलतियों को सुधार रहे!

RNE Jaipur.

राजस्थान में भजनलाल सरकार की कैबिनेट ने बड़ा निर्णय लेते हुए अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में बने 17 में से 09 जिलों को खत्म कर दिया। इसके साथ ही नए बनाये 03 संभाग भी खत्म कर दिये। इसके साथ ही जहां 03 संभाग, 09 जिले खत्म हो गए वहीं राजनीति शुरू हो गई है। कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली के साथ हो पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भजनलाल सरकार पर जमकर हमला बोला है। कांग्रेस ने घोषणा की है कि 01 जनवरी तक राष्ट्रीय शोक है। इसके बाद सड़क पर आंदोलन के लिए उतरेंगे। सड़क से सदन तक सरकार को घेरेंगे। नेता प्रतिपक्ष जूली तो यहां तक बोल गए कि सदन में भजनलाल सरकार की रेल बना देंगे। भाजपा सरका के मंत्री अविनाश गहलोत और सुमित गोदारा ने कांग्रेस नेताओं के बयानों का कड़ा प्रतिकार किया।

पहले जानिये कैबिनेट में क्या हुआ फैसला : 

मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की अध्यक्षता में शनिवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में आयोजित मंत्रिमण्डल की बैठक में कई फैसले हुए। संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि कैबिनेट ने पिछली सरकार के समय में गठित जिलों और संभागों का पुनः निर्धारण किया है, जिसके बाद अब प्रदेश में कुल 7 संभाग और 41 जिले होंगे। पूर्ववर्ती सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी वर्ष में प्रदेश में 17 नवीन जिले एवं 3 नवीन संभाग बनाने का निर्णय लिया था। तीन नए जिलों की घोषणा विधानसभा चुनाव-2023 की आचार संहिता से एक दिन पहले की गई, जिनकी अधिसूचना भी जारी नहीं हो सकी थी। गत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने हेतु राज्य सरकार द्वारा एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में से 9 जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर व शाहपुरा तथा नवसृजित 3 संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को नहीं रखने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित 3 नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमण्डल ने लिया है।

यह बोले गोविंदसिंह डोटासरा : 

कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने इस निर्णय एक बाद भजनलाल सरकार पर जमकर हमला बोला। कहा, भाजपा की पर्ची सरकार ने संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हुए विवेकहीन एवं जनविरोधी निर्णय किया है। भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित होकर प्रदेश के नव गठित 9 जिलों एवं सीकर, पाली व बांसवाड़ा तीनों संभाग को निरस्त करना जनविरोधी एवं अत्यंत निंदनीय निर्णय है।

भाजपा सरकार ने नव सृजित जिलों एवं संभागों को निरस्त करके प्रदेश की जनता के हितों के साथ कुठाराघात किया है, यह जनता से अन्यायपूर्ण एवं अनुचित कदम है। कांग्रेस पार्टी इस जनविरोधी निर्णय का पुरजोर विरोध करती है। भाजपा सरकार के इस निर्णय के खिलाफ कांग्रेस पार्टी प्रदेश की जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी है। राजस्थान के जन-जन के साथ हम सदन से सड़क तक विरोध व आंदोलन करेंगे। सरकार को इस निर्णय से पूर्व इन जिलों और संभाग की जनता से सुझाव एवं सर्वदलीय बैठक बुलाकर विपक्ष से रायशुमारी करनी चाहिए थी।

भाजपा सरकार द्वारा कम दूरी की दलील देकर जिलों को समाप्त करना भी समझ से परे एवं तर्कहीन है। भरतपुर से डीग की दूरी सिर्फ 38 किलोमीटर है, लेकिन डीग को जिला बरकरार रखा गया है। जबकि सीकर से नीमकाथाना की दूरी 85 किलोमीटर, श्रीगंगानगर से अनूपगढ़ की दूरी 122 किलोमीटर और जालोर से सांचौर की दूरी 135 किलोमीटर होने के बावजूद नीमकाथाना, अनूपगढ़ एवं सांचौर तीनों जिलों को निरस्त कर दिया गया।

पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने जनभावना के सम्मान में भौगोलिक दृष्टि का ध्यान रखते मुख्यालयों की दूरी घटाने, योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन एवं सुदृढ़ प्रशासनिक व्यवस्था के लिए 17 नए जिलों और 3 संभागों का गठन किया था। कांग्रेस सरकार ने प्रशासनिक विकेंद्रीकरण से राजस्थान की प्रगति को गति देकर देश के अग्रणी राज्यों में शामिल करने एवं आमजन को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए जनहित में निर्णय किया था। लेकिन भाजपा की पर्ची सरकार ने संकीर्ण मानसिकता का परिचय देते हुए विवेकहीन एवं जनविरोधी निर्णय किया है।

टीकाराम जूली ने यूं बोला हमला :

नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने कहा, भाजपा सरकार द्वारा 9 नए जिलों को निरस्त करने का निर्णय एक जनविरोधी निर्णय है, जो राजस्थान के विकास और प्रशासनिक सुधार की दिशा में एक कदम पीछे की ओर है।

नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबादी 35.42 लाख और क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था, जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख और क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था। यह बदलाव राजस्थान के लोगों के लिए एक बड़ा लाभ था, क्योंकि इससे शासन-प्रशासन की पहुंच बेहतर होती है और सुविधाओं व योजनाओं की बेहतर डिलीवरी सुनिश्चित हो पाती है। भाजपा सरकार ने इसे रद्द कर दिया है, जो एक बड़ा नुकसान है। यह निर्णय राजस्थान के लोगों के हितों के विरुद्ध है और यह सरकार की विफलता को दर्शाता है। हम इस निर्णय की निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि सरकार इसे वापस ले और राजस्थान के लोगों के हितों को ध्यान में रखे। यह अलोकतांत्रिक निर्णय राजस्थान के विकास को प्रभावित करेगा। हम इस निर्णय के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगे और राजस्थान के लोगों के हितों की रक्षा करेंगे।

अशोक गहलोत ने सरकार को घेरा : 

हमारी सरकार द्वारा बनाए गए नए जिलों में से 9 जिलों को निरस्त करने का भाजपा सरकार का निर्णय अविवेकशीलता एवं केवल राजनीतिक प्रतिशोध का उदाहरण है। हमारी सरकार के दौरान जिलों का पुनर्गठन करने के लिए वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी रामलुभाया की अध्यक्षता में 21 मार्च 2022 को समिति बनाई गई थी जिसको दर्जनों जिलों के प्रतिवेदन प्राप्त हुए। इन्हीं प्रतिवेदनों का परीक्षण कर समिति ने अपनी रिपोर्ट दी जिसके आधार पर नए जिले बनाने का निर्णय किया गया।

राजस्थान से छोटा होने पर भी MP में 53 जिले : 

गहलोत ने कहा, मध्य प्रदेश से छत्तीसगढ़ के अलग होने के बाद राजस्थान देश का सबसे बड़ा राज्य बन गया परन्तु प्रशासनिक इकाइयों का पुनर्गठन उस अनुपात में नहीं हुआ था। राजस्थान से छोटा होने के बाद भी मध्य प्रदेश में 53 जिले हैं।

जनसंख्या के आधार पर यह बोले गहलोत : 

नए जिलों के गठन से पूर्व राजस्थान में हर जिले की औसत आबाादी 35.42 लाख व क्षेत्रफल 12,147 वर्ग किलोमीटर था (हालांकि त्रिपुरा राज्य का क्षेत्रफल 10,492 वर्ग किलोमीटर, गोवा राज्य का क्षेत्रफल 3,702 वर्ग किलोमीटर, दिल्ली केन्द्र शासित प्रदेश का क्षेत्रफल 1,484 वर्ग किलोमीटर है) जबकि नए जिले बनने के बाद जिलों की औसत आबादी 15.35 लाख व क्षेत्रफल 5268 वर्ग किलोमीटर हो गया था।

गुजरात से तुलना : 

भाजपा सरकार द्वारा जिन जिलों को छोटा होने का तर्क देकर रद्द किया है वो भी अनुचित है। जिले का आकार वहां की भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर होता है। हमारे पड़ोसी राज्यों के जिले जैसे गुजरात के डांग (2 लाख 29 हजार), पोरबंदर (5 लाख 85 हजार) एवं नर्बदा (5 लाख 91 हजार), हरियाणा के पंचकुला (5 लाख 59 हजार) एवं चरखी दादरी (लगभग 5 लाख 1 हजार), पंजाब के मलेरकोटला (लगभग 4 लाख 30 हजार), बरनाला(5 लाख 96 हजार) एवं फतेहगढ़ साहिब (6 लाख) जैसे कम आबादी वाले जिले हैं।